कन्या वरयते रूपं माता वित्तं पिता श्रुतम् |
बान्धवाः कुलमिच्छन्ति मिष्ठान्ने इतरे जनाः ||
भावार्थ - विवाह सम्बन्ध स्थापित करते समय विवाह योग्य
कन्या की वरीयता अपने भावी पति का रूप (सुन्दरता) होती
है और उसकी माता की पसंद अपने दामाद का धनवान होना
तथा पिता की पसंद उसका विद्वान और प्रसिद्ध होना होता है |
रिष्तेदारों की इच्छा होती है कि विवाह सम्बन्ध किसी उच्च
कुल में हो और अन्य लोगों (बरातियों) की रुचि केवल बढिया
स्वागत सत्कार और मिष्ठान (दावत) में होती है | )
(किसी कवि ने भी कहा है कि : -
दंपति रूपहि मातु धन पिता नाम विख्यात |
उत्तम कुल बान्धव चहें भोजन चहे बरात || )
Kanyaa varayate roopam maataa vittam pitaa shrutam.
Baandhavaah kulamicchanti mishthaanne itare janaah,
Kanya = a girl. Varayate = chooses. prefers, Roopam =
beauty.Maata = mother. Vittam = wealth. Pitaa = father.
Shrutam = Veda (here it means well educated and famous).
Baandhavaah =close relatives. Kulamicchanti = kulam +
icchanti . Kulam = a respected family. Icchanti = desire.
wish. Mishthaanne = sweets, sumptuous meal. Itare =
others. Janaah = other persons.
i.e. The choice of a daughter about her prospective groom
is that he should be handsome, whereas the preference of her
mother is that he should be wealthy, and her father's preference
is that he should be well educated and famous. The desire of
the relatives is the high social status of the groom's family,
whereas other acquaintances desire only a good reception and
a nice dinner at the time of the marriage.
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