Monday, 25 August 2014

Today's Subhashita.

पञ्चभिः सह गन्तव्यं स्थातव्यं पञ्चभिः सह |
पञ्चभिः सह वक्तव्यं  न  दुःखं पञ्चभिः सह  ||

अर्थ -    यदि कहीं  (शुभ कार्य के लिये ) जाना हो तो पांच व्यक्तिओं  को  एक साथ जाना चाहिये और पांच ही व्यक्तियों के निकट संपर्क में रहना चाहिये |  पांच ही  व्यक्तियों के साथ अन्तरंग वार्ता करनी चाहिये | इस प्रकार पांचों के साथ रहने से कभी दुःख नहीं  होता है.|

(सनातन धर्म में पांच की संख्या का बडा ही प्रतीकात्मक महत्व है | उदाहरणार्थ पांच तत्वो अग्नि,पृथ्वी ,वायु, जल और आकाश से मानव शरीर  का निर्माण माना गया है , पांच प्रमुख देवता ,पांच ज्ञानेन्द्रियां  (त्वचा,आंख, नाक, कान और जीभ ) , पांच कर्मेन्द्रियां (हाथ, पांव, गुप्तांग, कंठ  और मल द्वार), पञ्चामृत देवताओं को अर्पित करने के लिये, समय सिद्धान्त के पांच अंग तिथि, वार, करण, नक्षत्र और योग को प्रदर्शित करने वाला  पंचांग (भारतीय कैलेण्डर ) ,आयुर्वेद के अन्तर्गत पांच चिकित्सा पद्धतियां जिसे पंचकर्म  कहते है,सिक्ख धर्म में पंच प्यारे ,  आदि | अतः इस सुभाषित में इसी महत्त्व का प्रतिपादन किया गया है

Panchabhih saha gantavyam sthaatavyam panchabhih saha.
Panchabhih saha vaktavyam na duhkham panchabhih saha.

Panchabhih = five in number.     Saha = accompany.    Gantavyam = go..    Sthaatavyam = abide by, remain.
Vaktavyam = to be spoken or addressed.     Na - not      Duhkham = sorrow, misery.

i.e.     It is ordained that if one has to visit some place (for an auspicious task) five persons including himself should go together and, these five persons should stay together.    One should not confide with more than  5 persons, and if this is done  there will not be any sorrow and misery .

( In Sanatan Dharma every digit has a symbolical importance including the number 5.    For example the human body is made of five elements fire, earth,air,,water and space., there are five sensory organs and 5 organs for performing various tasks, there are five components of Indian Time Management system called tithi, vaar, nakshatra, karan and yoga,   five methods of practising Ayurveda (Hindu system of medicine), five ingredients  in trhe prasadam offered to Gods,  5 'Piaras' i.e. messangers of the Guru in  Sikkhism  etc etc .
The above Subhashita has stressed this aspect of the number 5 (five).  )

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